सरकार हर तरह से जनता से इस संयंत्र के प्रति हां उगलवा लेना चाहती है.
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उससे सब कुछ उगलवा लेना चाहिये और लोकसभा चुनाव के पूर्व उसे ' अल्लाह' के दर्शन करा देने चाहिये।
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२. मां तुम बातों ही बातों में उगलवा लेना चाहती हो मेरे सीने में दफ़न सच्चाई को कितनी भोली और मासूम हो तुम ३.
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संचिका की आज की पोस्ट जो सरकारी सेंसर का आतंक दिखाती है वहीं पत्रकारिता के चरित्र को भी दर्शाती है जो किसी भी तरह अपना मनचाहा आपके मुख से उगलवा लेना चाहती है।
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देखा ताऊ! इसीलिए तो मैंने हाथ दबाया था | पिस्से भी मिल गए और पिछले जन्म की बातें भी पता चल जाएगी | और ताऊ! हो सकता है पिछले जन्म की घटनाएँ हमें कोई सीख दे जाये | भाई खुशदीप जी ताऊ से पिछले जन्म का सब कुछ उगलवा लेना | एसा मौका बार बार नहीं आने वाला!
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१. मां मैं जब भी मिलती हूं तुमसे पहले से कमजोर ही दिखती हूं तुम्हें यह तुम्हारी नज़र का धोखा है या नज़र कमजोर है २.मां तुम बातों ही बातों में उगलवा लेना चाहती हो मेरे सीने में दफ़न सच्चाई को कितनी भोली और मासूम हो तुम ३.दूर से आवाज़ सुन जान लेती हो सबकुछ तुम्हारा अंदाज़ कभी गलत नहीं होता सत्य नापने वाली मशीन हो क्या तुम? ४.
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मेरी आवाज़ पर पधारने के लिए धन्यवाद मां-चन्द क्षणिकाएं १. मां मैं जब भी मिलती हूं तुमसे पहले से कमजोर ही दिखती हूं तुम्हें यह तुम्हारी नज़र का धोखा है या नज़र कमजोर है २.मां तुम बातों ही बातों में उगलवा लेना चाहती हो मेरे सीने में दफ़न सच्चाई को कितनी भोली और मासूम हो तुम ३.दूर से आवाज़ सुन जान लेती हो सबकुछ तुम्हारा अंदाज़ कभी गलत नहीं होता सत्य नापने वाली मशीन हो क्या तुम? ४.